Wednesday, 26 October 2016

ओस की बूँद


ओस की बूँद हूँ मैं
न जाने क्या लिखा है भाग्य में

निकल पड़ी हूँ चलने बस
जाना है एक सीप में

बनना चाहती हूँ एक मोती
मोती, जिसे हर कोई चाहे

मन भाऊँ सबका मैं
किसी का न दिल दुखाऊँ

आगे बढ़ आगे बढाऊँ
बस हर मोड़ किस्मत आजमयूं .

http://writm.com/ritu/%E0%A4%93%E0%A4%B8-%E0%A4%95%E0%A5%80-%E0%A4%AC%E0%A5%82%E0%A4%81%E0%A4%A6/

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