ओस की बूँद हूँ मैं
न जाने क्या लिखा है भाग्य में
न जाने क्या लिखा है भाग्य में
निकल पड़ी हूँ चलने बस
जाना है एक सीप में
जाना है एक सीप में
बनना चाहती हूँ एक मोती
मोती, जिसे हर कोई चाहे
मोती, जिसे हर कोई चाहे
मन भाऊँ सबका मैं
किसी का न दिल दुखाऊँ
किसी का न दिल दुखाऊँ
आगे बढ़ आगे बढाऊँ
बस हर मोड़ किस्मत आजमयूं .
बस हर मोड़ किस्मत आजमयूं .
No comments:
Post a Comment